Derh Biswa Zameen "डेढ़ बिस्वा जमीन" Book in Hindi
पूर्वी उत्तर प्रदेश जहाँ एक तरफ गरीबी की मर झेल रहा था, वहीं दूसरी तरफ 1970 के दशक से माफिया गतिविधियों की शुरुआत पूर्वी उत्तर प्रदेश से ही शुरू हुई। शुरुआती दौर में गोरखपुर इसका केंद्रबिंदु बना । माफिया गिरोहों में वर्चस्व की लड़ाई शुरू हो गई। वर्चस्व का मतलब जमीनें हड़प लेंगे, खरीदेंगे नहीं। पेट्रोल-डीजल भरा लेंगे, पर पैसे नहीं देंगे; कोई आँख मिलाकर बात नहीं करेगा। गोरखपुर में हुए गैंगवार ने पूर्वांचल के वाराणसी, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, प्रयागराज, चंदौली, मिर्जापुर, भदोही जिलों को भी अपनी चपेट में ले लिया।
1990 के दशक में सीवान, बिहार के शहाबुद्दीन, गाजीपुर के मुख्तार अंसारी और प्रयागराज के अतीक अहमद का माफिया सिंडिकेट बना। सीवान का शहाबुद्दीन, गाजीपुर का मुख्तार अंसारी और प्रयागराज का अतीक अहमद ऐसे माफिया हुए, जिन्होंने एक-दूसरे के सहयोग से अपने माफियाराज को मजबूत बनाया और अकूत संपत्ति बनाई । उनके गुर्गे एक साथ मिलकर फिरौती के लिए अपहरण, हत्या, किराए पर हत्याएँ जैसे जघन्य अपराध करते थे ।
माफियाओं के कुकर्मों और समाज को भयाक्रांत कर अपराधों को अंजाम देने की क्रूर मानसिकता को अत्यंत प्रामाणिक और सिलसिलेवार ढंग से प्रस्तुत करती पुस्तक, जो इन अपराधियों की कार्यशैली और वहशीपन को बेनकाब करती है।
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About the Author
बृज लाल IPS (से.नि.) 1977 बैच उत्तर प्रदेश कैडर के अधिकारी हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश के महत्त्वपूर्ण जिलों में एस.पी., एस.एस.पी, डी.आई.जी, उत्तर प्रदेश के आई.जी. (लॉ ऐंड ऑर्डर), ए.डी.जी./स्पेशल डी. जी. (लॉ ऐंड ऑर्डर), क्राइम, एस.टी.एफ., ए.टी.एस. के दायित्वों का निर्वहन किया। वर्ष 2011-12 में उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे और 30 नवंबर, 2014 को सेवानिवृत हुए।
उन्हें भारत के राष्ट्रपति द्वारा दीर्घ एवं सराहनीय सेवा मेडल, बहादुरी के लिए पुलिस मेडल, बहादुरी के लिए पुलिस पदक का बार और उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति का पुलिस पदक प्रदान किए गए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा उत्कृष्ट सेवाओं के लिए पुलिस पदक प्रदान किया गया। दस्यु उन्मूलन के लिए उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकारों द्वारा क्रमशः 3.25 लाख और 1 लाख रुपए के पुरस्कार भी दिए गए।
सेवानिवृत्ति के बाद उत्तर प्रदेश एस.सी./एस. टी. आयोग के अध्यक्ष रहे; उन्हें राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया। वे कानून-व्यवस्था, अपराध, आतंकवाद, माफिया, चंबल वैली डकैत विरोधी अभियानों के विशेषज्ञ रहे हैं।
संप्रति वे 26 नवंबर, 2020 से राज्यसभा सांसद हैं और अक्तूबर, 2022 से गृह कार्य संबंधी संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। सामयिक विषयों पर उनके लेख समाचार-पत्रों में प्रकाशित होते रहते हैं। उनकी पुस्तकें 'सियासत का सबक : जोगेंद्र नाथ मंडल', हिंदी व बांग्ला भाषाओं में, 'इंडियन मुजाहिदीन' हिंदी, अंग्रेजी व गुजराती भाषाओं में, 'पुलिस की बारात' ( फूलन देवी और चंबल गैंग्स), 'लखनऊ के रंगबाज', 'इटावा फाइल्स' विशेष चर्चित हैं।